Why Doesn,t Modi Hold Press Conferences?

02 जनवरी 2019 को India Today TV के Editor Ashok Updhyay एक RTI File करते है PM Office को जिसमे Total 4 सवाल पूछे गए थे ! 2 PM Narendra Modi के लिए और 2 पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के लिए ! Question यही था की PMO बताये की PM Narendra Modi ने अब तक अपने Tenure में कितने Press Conferences और Intervies किये उसका Date और Location बताइये और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कितने Press Conferences किये और कितने Interviews किये उसका भी Date और Location बताइये !

इस RTI का मतलब साफ़ था मनमोहन सिंह और PM नरेंद्र मोदी के बिच Comperision करना ! लेकिन RTI के जबाब में जो PMO कहता है वो बड़ा Showking था ! PMO का Answer था The Prime Ministers Interactions with Press Representatives अरे Both Structed and Unstructed and Therefore Information Asked for is Not Available on Record ! मतलब प्रेस प्रतिनिधियों के साथ प्रधान मंत्री की बातचीत संरचित और असंरचित दोनों होती है और इसलिए मांगी गई जानकारी रिकॉर्ड पर उपलब्ध नहीं है ! दूसरा जबाब था Information Sought Does Not Form Part of Records held By this Office ! यानि मांगी गई जानकारी इस कार्यालय द्वारा रखे गए रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है !

Congress Party के तरफ से Video भी जारी की जाती है और सवाल पूछे जाते है की पिछले 9 सालो में PM नरेंद्र मोदी ने एक भी Press Conference क्यों नहीं किया ! अब देखिये सबसे पहले हमें ये समझना होगा की Press Conference करना क्यों जरूरी है तभी हमें ये समझ आएगी की PM Modi Press Conference क्यों नहीं करते है ! Press Conference से सबसे बड़ा फायदा आम Public को होता है Government के तरफ से सही Information के रूप में ! क्योकि जब कोई Conference होती है तो वह पर एक या दो Reporters नहीं होते है बल्कि 50 से 100 Reporters होते है और सभी अपने अपने Questions पूछते है So इसकी Posiblities लगभग Zero हो जाती है की कोई Biased होकर Question करें और सामने वाला उसका Answer दे But वही पर अगर कोई भी Leader किसी Single Paerson को Interview देता है तो इसकी Possiblities बढ़ जाती है की सामने वाला Baised होकर सवाल करे और सही Information आम Public तक ना पहुंचे !

PM नरेंद्र मोदी ने Last Press Conference किया था 2019 में But उस Press Conference में PM नरेंद्र मोदी ने एक भी सवाल का जबाब नहीं दिया बल्कि उन्होंने अमित शाह के तरफ इशारा किया , और सवालो को अमित शाह ने ही Counter किया !

अगर हम मोदी जी के पहले Press Conferences देखें तो
Dr. Manmohan Singh ने 114 Press Conference किये
Jawaharlal Nehru : 75
Rajiv Gandhi: 62
Lal Bahadur Shastri: 56
Atal Bihari Vajpayee: 55
Indira Gandhi: 42
Narshimha Rao: 40
Morarji Desai: 14
But Narendra Modi: 01

अब सवाल आता है की आखिर PM मोदी Press Conference क्यों नहीं करते ? तो इसके दो ही Reasons हो सकते है Number 1 Proper Deta Available ना होना जिसके बजह से Confidence की कमी हो ! शायद इसीलिए PM MONOLOGUE में विश्वास करते है Like मन की बात, लेकिन ये Possible नहीं है की उनके पास Proper Deta ना हो इस जमाने में भी !

दूसरा Reason हो सकता है की PM अपने काम से खुश न हो अपने वादे को पूरा ना किया हो जिसके बजह से Press Conference में Random Question से डर लगता हो ! लेकिन अगर PM नरेंद्र मोदी के पिछले 9 साल के Tenure में Progress देखें तो इन्होने जितने बड़े बड़े वादे किये थे उनको इन्होने पूरा किया ! लेकिन मोदी Government ने क्या किया आपको भी पता है मोदी सरकार ने 370 हटाया उसके बाद Tripple Talak हटाने का वादा था मोदी Government ने वो भी पूरा किया ! उसके बाद राम मंदिर का मुद्दा भी Solve किया !

देखिये मेरा Personal Openioun है की PM मोदी देश को अच्छे से समझ चुके है और उसके According काम कर रहे है ! Pew Reaserch Center ने एक Survey में ये निकल कर आया की दुनिया भर के देश, Democracy, Military Rule और other Political Systems को कैसे देखते हैं ! भारत में 55% लोग एक मजबूत नेता द्वारा शासन करने को शासन करने का एक अच्छा तरीका मानते हैं !

एक Video Indian National Congress के Youtube Channel पर उपलब्ध है इसमें बताया गया मोदी कैसे डरते है, खाश कर PM मोदी के कामो पर सवाल उठाये गए ! और PM मोदी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बात की गयी! तो PM मोदी Press Conference क्यों नहीं करते इसका Answer तो शायद मोदी और मनमोहन सिंह के कामो को देखने के बाद ही मिलेगा !

पि चिंदबरम ने 2004 में बजट Speech दिया था जब BJP Leadership वाली NDA को हराकर कांग्रेस Leadership वाली UPA सत्ता में आई थी और चिदबंरम ने UPA सरकार का पहला बजट पेश किया था। 8 जुलाई 2004 को बजट पेश करते हुए चिदंबरम ने कहा था की ‘भारतीय अर्थव्यवस्था के आधार मजबूत दिखाई दे रहे हैं और Balance of Payments काफी दुरूस्त है। भारत की विकास दर में Stability बनी रहेगी। यहाँ पर थोड़ा एक बात यद् रखियेगा की जब अटल बिहारी वाजपेयी ने सत्ता छोड़ी थी तो विकास दर 8.5 % थी, जो कि 1975-76 के बाद सबसे अधिक थी।

कांग्रेस के 9 साल के शासन के बाद इन्हीं चिदंबरम ने 28 फरवरी 2013 को अपने बजट भाषण में कहा था ‘मैं शुरूआत में ही Context Clear कर देना चाहता हूं कि Global Economic Development Rate 2011 में 3.9 % के बाद 2012 में 3.2 प्रतिशत पर आ चुकी है और भारत भी Global Economy का हिस्सा है। हमारी Economy भी 2010-11 में कम हुई है। CSO ने 5 % और रिजर्व बैंक ने 5.5 % Economic Growth Rate का अनुमान लगाया है, अब अंतिम आकड़ा जो भी आए, निश्चित रूप से हमारी क्षमता से कम होगा।’ यानी अपने 9 साल के शासन में कांग्रेस ने Overconfidence के साथ जिस पारी की शरूआत की, उसे 2013 आते आते पूरी तरह खो दिया और Economic Crisis के लिए बहाने बनाने लग गई थी।

नरेंद्र मोदी ने जब सरकार की कमान 2014 में संभाली तो देश का Financial Condition बिगड़ा हुआ और System बिखरा हुआ था। पूरे World में हमारी जीडीपी दसवें नंबर की थी। लगभग दो खरब डाॅलर की। हम ब्रिटेन, फ्रांस, ब्राजील, इटली और रूस से भी काफी पीछे थे। Business Confidence Level Minimum था। 2013 के मार्च में Confederation of Indian Industry यानि की CII ने एक सर्वे कराया था। इसमें देश के 175 बिजनेस हाउस के Chief ने भाग लिया। भाग लेने वालों में से अधिकतर का कहना था कि सरकार में उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार और लगातार महंगाई से Economic Reform Process खतरे में है। उस पर से बढ़ते ब्याज दर और Political Instability एक Concern हैं और इनका International Circumstances से कोई लेना देना नहीं है।

अब यहाँ पर यह तो कह नहीं सकते कि कांग्रेस को सरकार चलाना नहीं आया। Experience के Base पर यही पार्टी दावा करती है कि सरकार चलाना उन्हें ही आता है। तो क्या सारी Failures मनमोहन सिंह के नाम कर देनी चाहिए थी ? नहीं, As A Economist मनमोहन सिंह इस देश के सबसे अनुभवी और Directly सबसे लंबे समय तक Government Economy के अंग रहे हैं। वित्त सचिव, भारत सरकार के प्रमुख वित्तीय सलाहकार, फिर वित्त मंत्री और दस साल तक प्रधानमंत्री। इतने लंबे समय तक अर्थव्यवस्था की कमान संभालने वाला दूसरा व्यक्ति अभी तक तो भारत में नहीं है। फिर भी उन्हें बेचारा होने की संज्ञा मिली। और Congress अपना सरकार चलाती रही !

2004 के आम चुनाव में जब कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी तो उसका एक ही मकसद था कि किसी भी तरह से भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए को सत्ता के किसी भी गणित से बाहर रखा जाए। 2008 में देश की अर्थव्यवस्था बिगड़ चुकी थी। इसे समझने के लिए एक ही Figure काफी है कि भारत का Revenue Loss जहां 2007-08 में जीडीपी का 2.6 % था वह 2008-09 में बढ़कर 5.9 % और 2009-10 में GDP का 6.7 % हो गया था। इससे Prove होता है की सरकार बनाने और चलाये रखने की कांग्रेस की मजबूरी में इतने बड़े Economist मनमोहन सिंह कहीं खो गए।

UPA 2 की कहानी तो देश को भ्रष्टाचार , और Economically बर्बादी की ओर ले जाने वाला ही था ! नवंबर 2010 में जब राडिया टेप कांड सामने आया तो पूरा देश हिल गया और इससे बड़ा उदाहरण भारतीय राजनीति में कभी नहीं मिल सकता। CBI ने राडिया और Power में रहे लोगो के करीब रहे लोगों के बीच 5851 फोन काॅल्स रिकार्ड किए थे जिसमें अपनी पसंद के लोगों को मंत्री बनाने के लिए लॉबिंग से लेकर टूजी स्पेक्ट्रम घोटाले की पूरी गाथा है।

10 साल की यूपीए की सरकार दस बड़े घोटाले के साथ इतिहास में दर्ज है। कोयला घोटाला, टूजी स्पेक्ट्रम घोटाला, चाॅपर घोटाला, ट्रक घोटाला, काॅमनवेल्थ गेम्स घोटाला, कैश फॉर वोट घोटाला, आदर्श घोटाला, सत्यम घोटाला, IPL घोटाला और चीनी घोटाला।

खैर Past के आंकड़े पर भविष्य का भारत खड़ा नहीं हो सकता था। इसके लिए Present के सही रास्ते पर चलकर जाना होगा। 9 साल प्रधानमंत्री के रूप में मोदी को काम करते हो गए। Assessment के लिए बहुत नहीं तो कम समय भी नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी की नीतियों की दिशा स्पष्ट है- पहले भारत को 5 खरब डाॅलर की अर्थव्यवस्था बनाना है और फिर देश को विकसित अर्थव्यवस्था की कैटेगरी में ला खड़ा करना है। मोदी ने जब 2014 में सत्ता संभाली तो भारत का GDP दो खरब डाॅलर का था अब 2023 में पौने चार खरब डाॅलर का है। मोदी की जिद है कि 2025 तक इसे 5 खरब डाॅलर तक पहुंचाना ही है। इसके लिए विकास दर 6 प्रतिशत से ऊपर चाहिए, तो वह Current में है।

ग्लोबल क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर रैंकिंग में 184 देशों में भारत का स्थान पांचवा है। रोड एंड ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी का दावा है कि 2024 के अंत तक भारत का सड़क नेटवर्क अमेरिका के बरबार हो जाएगा और हमारी लॉजिस्टिक लागत 16 प्रतिशत से घटकर 9 प्रतिशत पर आ जाएगी। NSO का आंकड़ा बताता है कि 9 साल में देश में प्रति व्यक्ति आय 2014 की 86 हजार 647 रुपये से बढ़कर 2023 में दुगनी यानी एक लाख 72 हजार रुपये हो गई है। अब यहां से आगे बढ़ना है तो देश की अर्थव्यस्था को भी दुगनी रफ्तार बढ़ानी होगी, जिसे लेकर कांग्रेस में विश्वास नहीं और मोदी आत्मविश्वास से भरपूर हैं।

So मुझे लगता है PM नरेंद्र मोदी सचिन तेंदुलकर जैसे है ये बातो से नहीं काम से जबाब देते है और सच कहे तो देश को Growth चाहिए मोदी की Press Conference नहीं वो Press Conference करे या ना करे हमारा देश पुरे World में खुद एक Press Conference कर रहा है , देश को और क्या चाहिए ! और ऐसा नहीं है की BJP पूरी तरह से साफ़ है But अगर कोई 75 % गलत हो और कोई 20 % तो हमें उसे चुनना चाहिए जो 20 % गलत है ! अब आपका क्या मानना है Comment में जरूर लिखें !

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