Bill Against Hindu By Congress Party

2011 में UPA Government ने Prevention of Communal and Targeted Violence Bill 2011 या कहे सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा रोकथाम विधेयक 2011 पेश किया था. इस बिल को National Advisory Council ने तैयार किया था और इस Council की अध्यक्ष सोनिया गांधी थी. सांप्रदायिक दंगों को रोकने के लिए लाए गए इस बिल का BJP के साथ साथ शिव सेना AIDMK , तृणमूल कांग्रेस सहित RSS विश्व हिन्दू परिसद सहित कई social organizations ने भी जबरदस्त विरोध किया था. सारे संगठनों का आरोप था कि इस बिल के जरिए सरकार धर्म के आधार पर लोगों को बांटने की कोशिश कर रही है. बीजेपी ने इस बिल को सोनिया गांधी का Black law करार दिया था.

BJP का आरोप था कि Prevention of Communal and Targeted Violence Bill 2011 देश की हिंदू आबादी के खिलाफ है. इस बिल को जानबूझकर मुस्लिम Favour और हिन्दुओ के खिलाफ तैयार किया गया है. इस बिल के Provision ऐसे थे, जो साफतौर पर धर्म और जाति के आधार पर बंटवारा करने वाले थे. इस Bill के बारे में तो Detail में बात करेंगे ही लेकिन at Least 3 और कानून UPA Government के Time में बना जिसे Experts पूरी तरह से हिन्दू विरोधी कहते है जिसके वजह से आज राम मंदिर और ज्ञानवापी जैसे मामलो को Solve करने में इतना समय लगा !

So चलिए जानते है वो कौन सा Law है और क्या 2024 में BJP Government इसे हटा सकती है और अगर हाँ तो इसके लिए BJP को क्या करना होगा !

So सबसे पहले Prevention of Communal and Targeted Violence Bill 2011 की बात करते है देखिये इस Bill से सबसे बड़ा Problem होने वाला था हिन्दुओ को, उन हिन्दुओ को जिनकी आबादी भारत में 80% है ! देखिये कही भी जब भी Violence या Riot होता है तो उसके दो Groups होते है वो Group कोई भी हो सकता है ! किसी दो Cast में हो सकता है, किसी दो Com का हो सकता है But Showkingly इस बिल में Group का बंटवारा Majority Population और Minority Population के आधार पर किया गया था.

बिल में धर्म, जाती और भाषा के आधार पर Majority और Minority Population की पहचान की गई थी. बिल के Provision के According अगर किसी इलाके में कोई दंगा होता है तो इसके लिए उस क्षेत्र की Majority Population को जिम्मेदार ठहराया जाएगा. साथ ही मान लो कही Majority और Minority Population के बिच Riot हुआ और Minority Population वाले लोगो ने Riot का lawsuit File किया तो दंगों में उनका Role वही ख़त्म हो जायेगा ! अब Majority Population वाले उस शख्स की जिम्मेदारी बनती है कि वो खुद को निर्दोष साबित करे जिसपे Lawsuit File हुआ.

इस बिल के मुताबिक अगर हिंदू बहुल इलाके में हिंदू-मुस्लिम दंगा होता है तो ऐसे में हिंदुओं पर ये जिम्मेदारी होगी कि वो खुद को निर्दोष साबित करें. इसी तरह से अगर कश्मीर के किसी हिस्से में, जहां हिंदू अल्पसंख्यक और मुस्लिम बहुसंख्यक होंगे, वहां मुसलमानों पर ये जिम्मेदारी होगी कि वो खुद को दंगों के आरोपों से मुक्त करें. अब Problem ये थी की ये कैसे Proof होता की दंगो की शुरुआत किसने किया हो सकता था की Muslim Majority वाले इलाके में हुए Riot में 100 % गलती हिन्दुओ की हो या Hindu Majority वाले इलाके में हुए दंगो में पूरी गलती मुस्लिमो की होती, तब दोनों Condition में Problem Majority वालो को ही होता चाहे उनकी गलती हो या ना हो !

अब यहाँ समझने वाली बात ये है की India में Hindu और Muslim कितने है Offcource Hindu Majority में है 80 % . So इसका मतलब ये होता की 100 Riot में 80 Times हिन्दुओ को गलती ठहराया जाता चाहे उनकी गलती हो या न हो ! बिल में Minority Community को बहुत ज्यादा राहत दी गई थी.

उस वक्त अरुण जेटली ने एक कॉलम में इस बिल के बारे में लिखा था कि ‘Bill का Draft इस Perception को जन्म देता है कि Communal Disturbance सिर्फ Majority Community के सदस्यों की ओर से ही की जाती है. Minority Community के लोग ऐसा कभी नहीं करते.’

वैसे इस बिल को 2002 के गुजरात दंगों को ध्यान में रखकर बनाया गया था जिसे 2004 के लोकसभा चुनाव में इस बिल का वादा कांग्रेस पार्टी ने अपने Manifesto में किया था. Experts का मानना है कि सिर्फ 2002 के दंगों को ध्यान में रखकर ऐसा बिल बनाना कांग्रेस की बेवकूफी थी. अगर हर दंगे के लिए बहुसंख्यक आबादी को ही जिम्मेदार मान लिया जाए तो क्या 1992 और 1993 के मुंबई दंगों के लिए हिंदू आबादी ही जिम्मेदार थे ?

इतना ही नहीं Showking तो ये था की इस Bill के Section 7 के According दंगों की स्थिति में Majority Population की महिला के साथ रेप होता है तो इस बिल के मुताबिक वो अपराध की श्रेणी में नहीं आएगा. बहुसंख्यक आबादी की महिला इस बिल के मुताबिक समूह में नहीं आएंगी इसीलिए IPC के तहत मामला रेप का होगा लेकिन इस कानून के मुताबिक नहीं.

इसी तरह से इस बिल के मुताबिक अगर मुसलमानों और अनुसूचित जाति और जनजातियों के बीच दंगे की स्थिति बनती है और SC ST उस इलाके में बहुसंख्यक आबादी में आते हों तो ये बिल मुसलमानों का साथ देगा. ऐसे में SC ST Act . Ineffective हो जाएगा.

UPA-1 के TIME 2005 में पहली बार इस बिल का Draft तैयार हुआ था. लेकिन इसकी काफी Criticism हुई, उसके बाद 2011 में इसे फिर से लाया गया. 2014 में इस बिल पर संसद में जबरदस्त बहस हुई और BJP के जबरदस्त विरोध के बाद UPA ने इस बिल को वापस ले लिया

Places Of Worship Act: 

इस वक्त देश में सबसे ज्यादा चर्चा ‘Places Of Worship Act, 1991’ यानी पूजा स्थल कानून की हो रही है। लेकिन क्या है प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट और क्या कहते हैं इसके Provision,आइए जानते हैं ! 1991 में लागू किया गया यह प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले Existence में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता। अगर कोई इस Act का उल्लंघन करने का प्रयास करता है तो उसे जुर्माना और तीन साल तक की जेल भी हो सकती है।

यह कानून पूर्व कांग्रेस प्रधानमंत्री P V नरसिंह राव 1991 में लेकर आये थे। यह कानून तब आया जब बाबरी मस्जिद और अयोध्या का मुद्दा Pick पर था। इस एक्ट के Section 2

के According 15 अगस्त 1947 में मौजूद किसी धार्मिक स्थल में Change को लेकर कोई Petition कोर्ट में पेंडिंग है तो उसे Close कर दिया जाएगा।

Section- 3 के According किसी भी Religious Place को पूरी तरह या Partially किसी दूसरे Religious Place में बदलने की Permission नहीं है।

Section- 5 में Provision है कि यह एक्ट रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के मामले और इससे संबंधित किसी भी Lawsuit, Appeal or Proceeding पर लागू नहीं करेगा।

अब सबसे बड़ा सवाल जिसका जबाब आप Comment करना की ये कानून तब क्यों बनाया गया जब Ram Mandir Movement अपने Hight पर था।.

अगला है Waqf Act, 1995

सबसे पहले तो यह जान लीजिए कि वक्फ बोर्ड के पास भारतीय सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा जमीन है। यानी, वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है। वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के According, देश के सभी वक्फ बोर्डों के पास कुल मिलाकर 8 लाख 54 हजार 509 Properties हैं जो 8 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैली हैं। सेना के पास करीब 18 लाख एकड़ जमीन पर संपत्तियां हैं जबकि रेलवे की  करीब 12 लाख एकड़ में फैली हैं।

अब जो आंकड़ा हमलोग जानने वाले हैं, वो चौंका देगा। साल 2009 में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां 4 लाख एकड़ जमीन पर फैली थी। मतलब साफ है कि बीते 15 सालो में वक्फ बोर्ड की संपत्तियां दोगुनी से भी ज्यादा हो गई हैं। आप भी जानते हैं कि जमीन का विस्तार तो नहीं होता। फिर वक्फ बोर्ड के हिस्से जमीन का इतना बड़ा हिस्सा, इतनी तेजी से कैसे जा रहा है?

अब सवाल ये है की कैसे बढ़ रहा है वक्फ बोर्ड की जमीन का रकबा? देखिये वक्फ बोर्ड देशभर में जहां भी कब्रिस्तान की घेराबंदी करवाता है तो उसके आसपास की जमीन को भी अपनी संपत्ति करार दे देता है। अवैध मजारों, और नई-नई मस्जिदे बनाई जाती है और इन मजारों और आसपास की जमीनों पर वक्फ बोर्ड का कब्जा हो जाता है। चूंकि 1995 का वक्फ एक्ट कहता है कि अगर वक्फ बोर्ड को लगता है कि कोई जमीन वक्फ की संपत्ति है तो यह साबित करने की जिम्मेदारी उसकी नहीं, बल्कि जमीन के असली मालिक की होती है कि वो बताए कि कैसे उसकी जमीन वक्फ की नहीं है।

देखिये 1995 का कानून यह जरूर कहता है कि किसी निजी संपत्ति पर वक्फ बोर्ड अपना दावा नहीं कर सकता, लेकिन सवाल है की यह तय कैसे होगा कि संपत्ति निजी है?

तो जबाब पहले ही दे चूका हूँ की अगर वक्फ बोर्ड को सिर्फ लगता है कि कोई संपत्ति वक्फ की है तो उसे कोई दस्तावेज या सबूत पेश नहीं करना है, सारे कागज और सबूत उसे देने होंगे जो अब तक दावेदार रहा है। और ये कौन नहीं जानता है कि कई परिवारों के पास जमीन का पुख्ता कागज नहीं होता है। वक्फ बोर्ड इसी का फायदा उठाता है क्योंकि उसे कब्जा जमाने के लिए कोई कागज नहीं देना है।

अब वक्फ बोर्ड के Foundation की कहानी भी बड़ी Interesting है ! 1947 में आजादी मिलने के साथ भारत के बंटवारे से पाकिस्तान नया देश बना। तब जो मुसलमान भारत से पाकिस्तान चले गए, उनकी जमीनों को वक्फ संपत्ति घोषित कर दी गई। एक Report के According 1950 में हुए नेहरू-लियाकत समझौते में तय हुआ था कि Displaced होने वालों का भारत और पाकिस्तान में अपनी-अपनी संपत्तियों पर अधिकार बना रहेगा। वो अपनी संपत्तियां बेच सकेंगे।

लेकिन कुछ Report के According पाकिस्तान में हिंदुओं की छोड़ी जमीनें, उनके मकानों अन्य संपत्तियों पर वहां की सरकार या स्थानीय लोगों का कब्जा हो गया। But भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कहा कि यहां से पाकिस्तान गए मुसलमानों की संपत्तियों को कोई हाथ नहीं लगाएगा और जो मालिकों द्वारा साथ ले जाने, बेच दिए जाने के बाद जो संपत्तियां बच गई हैं, उन्हें वक्फ की सपत्ति घोषित कर दिया गया।  ‘1954 में वक्फ बोर्ड का गठन हुआ और यहीं से भारत के इस्लामीकरण का एजेंडा शुरू हुआ।’ देखिये ‘दुनिया के किसी इस्लामी देश में वक्फ बोर्ड नाम की कोई संस्था नहीं है। यह सिर्फ भारत में है जो इस्लामी नहीं, धर्मनिरपेक्ष देश है।’

साल 1995 में P V नरसिम्हा राव की कांग्रेस सरकार ने वक्फ एक्ट 1954 में Modification किया और नए-नए Provision जोड़कर वक्फ बोर्ड को Unlimited Power दे दीं।  वक्फ एक्ट 1995 का Section 3(R) के According कोई संपत्ति किसी भी उद्देश्य के लिए मुस्लिम कानून के मुताबिक पाक , मजहबी  या चेरिटेबल मान लिया जाए तो वह वक्फ की संपत्ति हो जाएगी।  वक्फ एक्ट के Article 40 के According यह जमीन किसकी है, यह वक्फ का सर्वेयर और वक्फ बोर्ड तय करेगा। वही तय करता है कि कौन सी संपत्ति वक्फ की है, कौन सी नहीं। इस Assessment के तीन Base होते हैं- 1 . अगर किसी ने अपनी संपत्ति वक्फ के नाम कर दी, 2 .अगर कोई मुसलमान या मुस्लिम संस्था जमीन की लंबे समय से इस्तेमाल कर रहा है 3 . अगर सर्वे में जमीन का वक्फ की संपत्ति होना साबित हुआ।

बड़ी बात है कि अगर आपकी संपत्ति को वक्फ की संपत्ति बता दी गई तो आप उसके खिलाफ कोर्ट नहीं जा सकते। आपको वक्फ बोर्ड से ही गुहार लगानी होगी। वक्फ बोर्ड का फैसला आपके खिलाफ आया, तब भी आप कोर्ट नहीं जा सकते। तब आप वक्फ ट्राइब्यूनल में जा सकते हैं। वक्फ एक्ट का Section 85 कहता है कि ट्राइब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है।

अब तमिलनाडु का ताजा मामला ही ले लीजिए। प्रदेश के त्रिची जिले के एक हिंदू बहुल गांव तिरुचेंथुरई को वक्फ बोर्ड ने अपनी मिल्कियत घोषित कर दी। बोर्ड ने कहा कि इस गांव की पूरी जमीन वक्फ की है जबकि उस गांव में सिर्फ 22 मुस्लिम परिवार हैं जबकि हिंदू आबादी 95 प्रतिशत है। हैरानी की बात तो यह है कि वहां के मंदिर पर भी वक्फ की संपत्ति घोषित कर दी गई जिसमे एक 15 सौ वर्ष पुरानी मंदिर भी है, यानी दुनिया में इस्लाम के आने से पहले से वाला मंदिर। तमिलनाडु का यह मामला वक्फ बोर्ड को मिली Unlimited Power और उसके Misuse का शानदार उदाहरण है।

अगला है Minority Commission act 1992 इस Act के Article 30 Section (1) के According सभी Minority को धर्म या भाषा के आधार पर अपनी पसंद के आधार पर अपनी Educational institution को Established करने का अधिकार है ! But आज इसी Act का फायदा बहुत जगह पे उठाया जाता है ! इसमें मदरसा तो Number 1 पर आता है ! अब आप Deside कीजिए की ये सारे Act हिन्दू के Against है या Favour में ? अब अगर BJP इन सभी कानूनों को खत्म करना चाहती है तो उसे लोक सभा और राज्य सभा में 2 तिहाई का बहुमत चाहिए होगा ! सो आपको क्या लगता है इस बार BJP 400 से ज्यादा सीटें ला पाएंगी Comment में जरूर लिखो ! नमस्कार

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